“बुद्धिर्बलवती सदा” पाठ प्रसिद्ध कथासंग्रह “शुकसप्ततिः” से लिया गया है। इसमें बुद्धिमती नामक महिला अपने दो बेटों के साथ जंगल में पिता के घर जा रही होती है। जब एक भयंकर व्याघ्र सामने आ जाता है, तो वह अपनी चतुर बुद्धि से उसे डराकर भगाने का नाटक करती है। इससे न केवल वह और उसके पुत्र बचते हैं, बल्कि एक धूर्त शृगाल भी उसकी चालाकी से नष्ट हो जाता है। सार यह है कि “बुद्धि ही सबसे बड़ी शक्ति है” — हर संकट में स्थिति को समझकर बुद्धिभाव से सामना करें।
Chapter Highlights:
- श्रुतिगीत “शुकसप्ततिः” कथाग्रन्थ से लिया गया प्रेरणादायक प्रसंग
- बुद्धिमती का चातुर्य: शलाकाएँ चलाकर व्याघ्र को भगाना
- शृगाल और व्याघ्र से निपटने की तीक्ष्ण रणनीति
- नीतिकथा: संकटों में बुद्धि सर्वोपरि
- निष्कर्ष: “बुद्धि ही बलवान” की सुप्रतिष्ठित मान्यता