“जननी तुल्यवत्सला” पाठ महाभारत के वनपर्व से लिया गया एक मार्मिक प्रसंग है जिसमें एक गोमाता सुरभि अपनी विशिष्ट करुणा और वात्सल्य से दर्शाती है कि माता का स्नेह समान तो होता है, लेकिन असहाय व दुर्बल संतान के प्रति वह अधिक संवेदनशील होती है। जब उसका एक दुर्बल—“दीन”—बैल खेत में गिर जाता है, तो वह विरमित हो आँसू बहाने लगती है। इन्द्रदेव उसकी व्यथा पूछते हैं तो वह कहती है—सभी सन्तान उसके प्रिय हैं, लेकिन इस दुर्बल पुत्र के प्रति उसकी करुणा और भी गहरी है। यह सुनकर इन्द्र का हृदय भी द्रवित हो जाता है, और वह वर्षा करके किसान की सहायता करते हैं।
Chapter Highlights:
- महाभारत (वनपर्व) से उद्धृत प्रसंग: गोमाता सुरभि की वात्सल्य भावना
- दुर्बल बालक (बैल) के प्रति गोमाता की गहरी संवेदनशीलता
- इन्द्र और सुरभि के बीच संवाद – माता स्नेह का दर्शन
- वात्सल्यवत्सलाई – सबके लिए समान स्नेह, पर दुर्बलों को अधिक ममता
- इन्द्र की सहानुभूति: वर्षा कर किसान और बैलों की सहायता करना