“भूकम्पविभीषिका” पाठ में प्राकृतिक आपदाओं—विशेषकर भूकंप—की भयानकता उजागर की गई है। इसमें बताया गया है कि कैसे अचानक से आए कम्पन से भवन, सड़कें, विद्युत स्तंभ गिर जाते हैं, और हजारों लोग क्षण में लीलित हो जाते हैं। यह काव्यात्मक गद्यांश हमें सिखाता है कि ऐसी आपदाओं में शांत मन, हिम्मत और आत्मरक्षा अत्यंत आवश्यक है ।
Chapter Highlights:
- प्राकृतिक आपदाओं पर दृष्टि—विशेष रूप से भूकंप की विभीषिका
- 2001: गणतंत्र दिवस पर गुजरात (भुज) में विनाशकारी अनुभव का वर्णन
- भवनों, खंभों, सड़कों के क्षणिक ध्वस्त होने का दृश्य
- हजारों प्राणियों की मृत्यु और अन्य पीड़ितों की चीखें
- आपदा में संरचनात्मक तैयारी—बहुमंजिली इमारतों के निर्माण की चेतावनी
- आपदाओं में आध्यात्मिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से—हिम्मत और सुरक्षा