“शुचिपर्यावरणम्” अध्याय आधुनिक संस्कृत कवि हरिदत्त शर्मा की रचना ‘लसल्लतिका’ से लिया गया है, जो बढ़ते प्रदूषण और महानगरों के यांत्रिक जीवन से उत्पन्न चिंताओं पर आधारित है। इसमें कवि दर्शाता है कि कैसे वायु, जल, ध्वनि और जलवायु के दूषित होने से शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है। यह अध्याय हमें स्वच्छता और पर्यावरण के महत्व के प्रति जागरूक कर, प्रकृति की ओर लौटने की प्रेरणा देता है।
Chapter Highlights:
- आधुनिक काव्य रूप में प्रदूषण की गंभीरता
- वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण का चित्रण
- मानव जीवन पर प्रदूषण के नकारात्मक प्रभाव
- प्रकृति से जुड़ने की चाह और समाधान की सूझ
- स्वच्छ पर्यावरण में मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य का महत्व