“अनयोक्तयः” अध्याय संस्कृत में अप्रत्यक्ष रूप से किसी की प्रशंसा अथवा निन्दा—यानी अन्योक्ति के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत करता है। इस तरह की युक्तिहीन, परंतु प्रभावशाली भाषा साहित्य में गूढ़ अर्थ उत्पन्न करती है। इस पाठ में सात अन्योक्तियों का संग्रह है जिसमें राजहंस, कोकिल, मेघ, मालाकार, सरोवर, चातक जैसे रूपकों के माध्यम से जीवन मूल्यों और नैतिक गुणों को बढ़ावा दिया गया है। यह मनुष्य को प्रेरित करता है कि शालीनता, धैर्य, उदारता आदि गुणों की ओर आबद्ध हो।
Chapter Highlights:
- अन्योक्ति की परिभाषा – अप्रत्यक्ष हेतु/माध्यम से कही गई प्रशंसा या निन्दा
- सात अन्योक्तियाँ: राजहंस, कोकिल, मेघ, मालाकार, सरोवर, चातक, आदि
- प्रत्येक उदाहरण से जीवन मूल्यों की प्रेरणा—मानव स्वभाव का संशोधन
- व्यक्तित्व विकास: शांति, संयम, उदारता जैसी सद्गुणों का पुष्टिकरण
- शाब्दिक-शिल्प: रूपकों के माध्यम से प्रभावी साहित्यिक अभिव्यक्ति