पत्र लेखन अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाने का एक माध्यम है, इस article में आप सीखेंगे How to write Sanskrit Application और Application in Sanskrit कैसे लिखें।
पत्र(Patra) लेखन क्या है?
पत्र लेखनम् – प्राचीन काल से ही पत्र हमारे विचारों के आदान-प्रदान का एक सशक्त माध्यम है जो सगे-संबंधियों, मित्रों, परिचितों, कार्यालयों और अन्य व्यक्तियों तक अपने विचार प्रकट करता रहा है।
वर्तमान काल में पत्रों के स्वरूप में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। आजकल सूचना के क्षेत्र में वैज्ञानिक आविष्कारों ने क्रान्ति ला दी है। फिर भी पत्रों का महत्त्व कम नहीं हुआ है।
पत्र लिखते समय निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए
सम्बोधन –
(क) बड़ों के लिए – आदरणीयाः, मान्यवराः, पूज्यवराः, परमपूज्याः, पूजनीयाः, पूज्याः, श्रद्धेयाः, माननीयाः, मान्याः आदि ।
(ख) मित्र/बरावर वालों के लिए – प्रिय मित्र !, मित्रवर!, बन्धुवर ! प्रिय सुहद !, प्रियबन्धु !, प्रिय मित्र (नाम) ! आदि ।
(ग) छोटों के लिए – प्रिय (नाम), आयुष्मान् ! आदि ।
(घ) अपरिचितों/अधिकारियों के लिए महोदयः, मान्यवरः, माननीयः आदि ।
Type of Application in Sanskrit
संस्कृत में पत्र लेखन मुख्यतः दो प्रकार का होता है –
- अनौपचारिकम् पत्रम्
- औपचारिकम् पत्रम्
अनौपचारिक पत्र (Informal Letter) – ऐसे पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं जिनके साथ घनिष्ठ या पारिवारिक संबंध होते हैं। रिश्तेदारों, मित्रों और परिचितों को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र होते हैं। इन पत्रों में अनौपचारिकता के बजाय आत्मीयता होती है।
औपचारिक पत्र (Formal Letter) – ऐसे पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं जिनसे कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं होता। जैसे – आवेदन पत्र, आधिकारिक पत्र, सरकारी पत्र, व्यावसायिक पत्र आदि।
Sanskrit application for sick leave
औपचारिक पत्रलेखनम् – प्रारूप
अवकाशर्थम पत्रम प्रधानाचार्य प्रति (छुट्टी के लिए प्राचार्य को पत्र)-
सेवायाम
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यः महोदयः
उ. वि. सह इन्टर कॉलेज
लखनऊ
मान्यवराः
सविनयं निवेदनं अस्ति यत अद्य अहम उदरवेदनया पीडितः अस्मि । अस्मात अहं विद्यालयं आगन्तुयं न शक्नोमि । अतः श्रीमन्तः मह्यं दिन द्वयस्स्य (17.01.23 दिनाँकत 18.01.23) यावत् अवकाशं दत्वा उपकुर्वन्तु ।
सधन्यवादाः ।
दिनांक: 17.01.23
भवताम आज्ञाकारी शिष्यः
सिद्धार्थ सिंह
Sanskrit mein application – अनौपचारिक पत्रम्
अनौपचारिक पत्रलेखनम् – प्रारूप
परीक्षापरिणाम विषये पितरं प्रति पत्रम (परीक्षा परिणाम के बारे में अपने पिता को पत्र)-
कोसी छात्रावासतः
पटनानगरम्
तिथि 25.02.23
श्रद्धेय पितृचरणयोः
सादर प्रणामाः !
अहं अत्र कुशला तत्रापि सर्वे कुशलिनः स्युः। मम नवमकक्षायाः परीक्षा परिणामः सम्प्राप्तः । अहं स्वकक्षायां प्रथमे स्थाने आगतवान् । इदानीं अहं परिश्रमेण पठामि । अस्मिन वर्षे बोर्डपरीक्षा भविष्यति । अस्मात् अद्यत्वे अहं परिश्रमेण पठामि ।
मातृ चरणयोः मम प्रणामाः । सर्वेभ्यः नमः ।
भवताम आत्मजः
क ख ग
प्रेषक :
क ख ग
शान्तिनगरम्, दिल्ली
सेवायाम्
श्री क ख ग
पटना नगरम्
Sanskrit Application – संस्कृत में आवेदन पत्र
औपचारिक अभ्यास पत्रम्
स्वभ्रातु विवाहस्य अवसरे दिन द्वयस्य अवकाशार्थं प्रधानाचार्यं प्रति लिखिते पन्ने रिक्तस्थानि पूरयत् । (अपने भाई की शादी के अवसर पर दो दिन की छुट्टी के लिए प्रिंसिपल को पत्र लिखे)-
परीक्षा भवनम
(i) ……………
आदरणीयाः (ii) ……………
(iii) ……………
सविनयम (iv) …………… अस्ति । यतमम (v) …………… विवाहः श्वः भविष्यति । वरयात्रा (vi) …………… । अत मध्यं (vii) …………… अवकाशं प्रदाय (viii) …………… अनुगृहणन्तु ।
तिथि : (ix)
भवदीयः (x)
क ख ग
मञ्जूषा
भ्रातुः, प्रधानाचार्य महोदयाः, गमिष्यति, शिष्यः, 10.05.24, माम, निवेदनम्, दिनद्वयस्य, सादरं प्रणामं, जयपुरम् ।
उत्तराणि – (i) जयपुरम (ii) प्रधानाचार्यमहोदयाः (iii) सादरं प्रणामं (iv) निवेदनम् (v) भ्रातु (vi) गमिष्यति (vii) दिनद्वयस्य (viii) माम (ix) 10-05-24 (x) शिष्य:
Application of Sanskrit – Sanskrit Avedan
अनौपचारिक अभ्यास पत्रम्
यात्रा वर्णनं कुर्वन मित्रं प्रति पत्रम (यात्रा का वर्णन करते हुए एक मित्र को पत्र)-
(i) ……………
प्रिय मित्र मन्टू !
(ii) ……………
(iii) …………… अहं मित्रैः सह जन्तुशालां द्रष्टुम् पाटलिपुत्र नगरं अगच्छम । (iv) …………… अनेकान पशून् अपश्याम। । सर्वे पशवः इतस्ततः भ्रमन्ति स्मः सिहाः उच्चैः अगर्जयन । म्यूराः नृत्ये (v) …………… आसन् । वस्तुतः मयूरं (vi) …………… कुत्र जन्तुशालायाः भव्यशोभा ? तत्र आम्रवृक्षाः अपि आसन कोकिला (vii) …………… । वस्तुतः यत्र आम्र वृक्षाः (viii) …………… कोकिल तु भविष्यति एव । अग्रेपुनः लेखिष्यामि । (ix) …………… मम नमस्कारः कथनीयः ।
भवदीयः (x) ……………
आशुतोषः
मञ्जूषा
विना, तत्र, अभिन्न मित्रम, वयम, सस्नेहम्, गोरखपुरतः, हयः, मग्नाः, अपि सर्वेभ्यः।
उत्तराणि – (i) गोरखपुरतः (ii) सस्नेहं (iii) वयं (iv) ह्यः (v) मग्नाः (vi) विना (vii) अपि (viii) तत्र (ix) सर्वेभ्यः (x) अभिन्न मित्रम ।
Conclusion
Hope you have understood Application of Sanskrit well. I would request you to remember the format of Sanskrit Application for Formal and Informal Letter. Practice problems by writing Sanskrit Application to score good marks in the exam.