Chapter 3 – शिशुलालनम् | Sanskrit Class 10 NCERT Book

“शिशुलालनम्” पाठ प्रसिद्ध संस्कृत नाटक ‘कुन्दमाला’ (लेखक दिन्नाग) के पंचम अंक से संपादित किया गया है। इसमें राजा राम अपने पुत्रों लव–कुश की विनम्रता और सौंदर्य देखकर उन्हें सिंहासन पर बैठाना चाहते हैं, लेकिन वे चतुराई से आज्ञा अस्वीकार कर देते हैं। अंत में, राम बाल स्नेह से उन्हें गोद में उठा लेते हैं, जिससे उनके प्रति गहरी करुणा और आत्मीयता का भाव स्पष्ट होता है। यह अध्याय बच्चों के प्रति सौहार्द और सच्चे स्नेह का मार्मिक वर्णन प्रस्तुत करता है।

Chapter Highlights:

  • ‘कुन्दमाला’ नाटक से लिया गया पाठ—राम-लव-कुश की विनम्रता
  • राज–पुत्र संबंध: सिंहासन पर न बैठने की शालीन अभिव्यक्ति
  • राम द्वारा बाल स्नेह: गोद में बैठाना और हृदयस्पर्शी आलिंगन
  • शिशु–प्रेम की भावनात्मक गहराई और सामरिक आदर
  • गुरु–पालन, वंश, नाम और माता की पहचान पर संवाद
  • नैतिक शिक्षा: सादगी, विनम्रता और पारिवारिक सम्मान

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