“सूक्तयः” अध्याय तमिल भाषा के प्राचीन काव्यग्रन्थ तिरुक्कुराल से लिया गया है, जिसे तमिलों का “वेद” कहा जाता है। इसके रचयिता तिरुवल्लुवर थे, जो लगभग प्रथम शताब्दी में रहे। “सूक्तयः” अर्थात् उज्जवल वाणी द्वारा दिऐ गए सुविचार—जो धर्म, अर्थ, काम जैसे मानव जीवन के तीन प्रमुख पहलुओं को सपाट रूप से प्रस्तुत करते हैं। इस अध्याय में छोटे‑छोटे पंक्तियों के माध्यम से सदाचार, नीति, युक्ति, और जीवन‑ज्ञान पर प्रकाश डाला गया है ।
Chapter Highlights:
- अनुवादित तिरुक्कुराल के “सूक्तयः”—तमिल का जीवनोपयोगी वेद
- त्रयी: धर्म (आचरण) • अर्थ (सम्पदा) • काम (इच्छा)
- छोटे, सारगर्भित पद्यात्मक सुविचार
- सदाचार की सर्वोच्चता—“धर्मः प्रथमो धर्मः…”
- जीवन के लिए नीति‑ज्ञान और नैतिक चेतना का विकास